19 June 2013 : Kesari (Marathi) - Pune
पेनेलिस्ट एसोसिएशन न्याय की प्रतीक्षा में
स्पीक एशिया प्राइवेट लिमिटेड (सिंगापूर), इस ऑनलाइन सर्वे कंपनी से सदस्यता शुल्क वापस पाने के लिए पेनेलिस्ट असोसिएशन पिछले २ साल से न्याय की प्रतीक्षा में है। कंपनी स्वयं भी लोगो के पैसे लौटाने के लिए कोर्ट में लड़ रही है लेकिन बात कहाँ अटकी है यह समझ में नहीं आ रहा है। कौन सा ऐसा कानून है जिसके चलते कंपनी को लोगो के पैसे लौटाने में परेशानियां हो रही हैं। ऐसा सवाल एसोसिएशन की तरफ से पूछा जा रहा है।
एसोसिएशन से मिली जानकारी के अनुसार जिन्हें घर बैठे अपनी आमदनी बढानी थी, ऐसे १२.५ लाख से भी ज्यादा लोग भारत भर से इस कंपनी से जुड़े. अगस्त २०११ में जिन्हें कंपनी के बिज़नेस से बाहर निकलना है, उनके लिए कंपनी ने एक्जिट ऑप्शन की घोषणा की और उन लोगो को पैसे लौटाने का वादा किया।
इस एक्जिट ऑप्शन के ज़रिये करीब ९४००० लोगो ने एक्जिट ऑप्शन को चुना। उन लोगो को अपने पैसे बिना किसी विलंब के मिल जाएँगे ऐसी उनकी उम्मीद थी। एग्जिट ऑप्शन कार्यान्वित होने से पहले कुछ लोगो ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करते हुए न्याय की मांग की। बाद में किसी कारणवश यह याचिका वापिस ली गई। यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन रहते हुए जस्टिस लाहोटी जी की अध्यक्षता में इस मामले की जांच चल रही थी। इस प्रक्रिया में लोगो के पैसे लौटाने से सम्बंधित शपथपत्र कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किया। इसमें आर्थिक अपराध शाखा को प्रतिवादी बनाया गया था। कंपनी ने न्यायालय के आदेशनुसार ५० करोड़ रूपए की रकम न्यायालय में जमा की थी लेकिन आर्थिक अपराध शाखा के असहयोग की वजह से यह याचिका वापिस लेनी पडी और कंपनी द्वारा जमा की हुई रकम कंपनी को वापिस दे दी गयी।
इसमें सोचने वाली बात यह है कि कंपनी खुद पैसे लौटाने के लिए लड़ रही है लेकिन कंपनी का डाटा आर्थिक अपराध शाखा के पास होने की वजह से कंपनी को तकनीकी मुसीबतों का सामना करना पड रहा है। लेकिन इसे सुलझाने के लिए कंपनी ने अपने डाटा की कॉपी पाने के लिए मुम्बई उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है। यह अर्जी अभी भी न्यायालय के विचाराधीन है।
कंपनी लोगो के पैसे लौटाने को तैयार है, तो लोगो को पैसे मिलने क्यों नहीं दिए जा रहे ? आर्थिक अपराध शाखा इस मामले में न्याय प्रक्रिया की सहायता करे ऐसी मांग असोसिएशन ने की है।