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08

Jun

जंग जीतने जैसा है तत्काल टिकट हासिल करना: तस्‍वीरों में देखिए, क्‍या-क्‍या सहना पड़ता है

गोरखपुर. रेलवे ने तत्काल टिकट के खेल से दलालों को दूर रखने की चाहे कितनी भी कोशिश कर ली हो, लेकिन उनका खेल बदस्तूर जारी है। दलालों के चलते टिकट न मिलने का खौफ गोरखपुर और आसपास के जिलों के रहने वाले लोगों पर इतना हावी है कि इसके लिए अपनी जान तक देने पर आमादा हैं। गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पीआरएस पर रोज खून बहता है। किसी का सर फूटता है, तो किसी की टांग टूटती है, लेकिन अपनों से मिलने की ख्वाहिश में लोग रोज अपनी जान दांव पर लगाते चले जा रहे हैं। कमोवेश यह स्थिति देश के हर रिजर्वेशन काउंटर की है।

 खाकी वर्दी वाले भी यात्रियों की इन परेशानियों का फायदा उठा रहे हैं। एक्स्ट्रा इनकम के चक्कर में वे रोज यहां पहुंचकर दलालों की मदद कर रहे हैं। एक महिला ने तो तत्काल टिकट की चाहत में एक दिन आरपीएफ की हिरासत में काटा। इससे पहले कि हम आपको बताएं कि तत्काल के लिए यह खून क्यों बहता है। हम आपको गोरखपुर में रिजर्वेशन के लिए होने वाली मशक्कत से रूबरू करवा दें। गोरखपुर के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम सेंटर के गेट पर रोज रात के 11 बजे से लाइन लगनी शुरू होती है। 

 उस वक़्त इक्का दुक्का लोग गेट के आसपास मंडराते हैं। कोई रात भर जागता है, तो कोई सड़क पर ही सो जाता है। सुबह 3 बजे से यहां लोग खड़े होकर लाइन लगाना शुरू कर देते हैं। यह सिलसिला सुबह के 6.30 बजे तक चलता है। यह सारी कवायद सिर्फ एक तत्काल टिकट के लिए होती है। ठीक सुबह 6.30 बजे जैसे ही आरपीएफ का एक सिपाही गेट खोलता है। लोग गेट को धक्का मारते हुए ऐसे दौड़ पड़ते है जैसे कि ओलंपिक्स में 100 मीटर की स्प्रिंट रेस में भाग ले रहे हों।

 इस रेस में कई बार लोग नीचे गिरते हैं, लेकिन तत्काल की चाहत में लोग उन्हें कुचल कर आगे निकल जाते हैं। मुसीबत यहीं ख़त्म नहीं होती सुबह 6.30 से 9 बजे तक खड़े होने के बाद ही टोकन सिस्टम से लोगों को नंबर मिलते हैं। दैनिकभास्कर.कॉम की टीम को जब इस जानलेव रेस की खबर लगी तो हकीकत जानने की कोशिश की गई। वहां पहुंचते ही इसका कारण समझ में आ गया। 

 चारों तरफ से लॉक्ड रिजर्वेशन सेंटर कैंपस पहले से ही चार खाकी वर्दीधारी ‘मेहमान’ बैठे थे। इन मेहमानों के अलावा कई 'मित्र’ दलाल कैंपस के पिछले दरवाजे से घुसने की ताक में बैठे थे। एक दलाल रिजर्वेशन सेण्टर के बगल में कड़ी ट्रेन की एसएलआर बोगी में जा छुपा था। जैसे ही हमने कैंपस के अन्दर कंटीले तारों को लांघकर प्रवेश किया, खाकी वर्दीधारी मेहमान उठ खड़े हुए और लाठी पीटने का नाटक करने लगे।लाठी पीटने के चलते उनके द्वारा अन्दर चोर रास्ते से घुसाए हुए मित्र कैंपस के बहार जाने लगे। 

इस बीच आरपीएफ की टीम भी आ गयी और लाठी पटक कर अन्दर घुसे लोगों को भगाया जाने लगा। इसी बीच एक आर्प्पीफ़ के जवान ने बड़ी सावधानी से गेट खोला और शुरू हो गयी तत्काल की दौड़। इस दौड़ में महिलाएं भी शामिल थीं। लोग एक दुसरे को रौंदते हुए आगे निकलने लगे। देखते ही देखते जो हाल खाली था वह अगले 5 मिनट में खचाखच भर गया। 

खाकी वर्दीधर्री अपनी वर्दी का रौब जमाते हुए 815, 816 और 817 नंबर के काउंटर पर खड़े लोगों को हटाकर सबसे आगे खड़े हो गए। जिन लोगों ने वर्दीधारियों ने भागे था वे दैनिकभास्कर.कॉम का कैमरा देख हमारे पास आगये और हमसे अपन्द दर्द बांटने लगे। इसी बीच हमसे वह महिला भी मिली जिसके पिता गुवाहाटी में बीमार हैं और पिछले 3 दिनों से एक तत्काल टिकट पाने की कोशिश कर रही है। 

इस महिला का गुरुवार को आरपीएफ ने चालान कर दिया था क्योंकि तत्काल के चक्कर में इस महिला की नोकझोंक आरपीएफ की महिला कांस्टेबल से हो गई थी। इस महिला को 2500 रुपये का जुर्माना भरने के बाद हिरासत से मुक्ति मिली।

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